Vice Chancellor


       प्रोफेसर सत्यकाम उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के 16 वें कुलपति हैं। राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय में पदभार ग्रहण करने से पूर्व प्रोफेसर सत्यकाम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में समकुलपति के रूप में कार्यरत थे। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में प्रोफेसर सत्यकाम निदेशक, मानविकी विद्यापीठ एवं निदेशक शोध के पद पर भी कार्य कर चुके हैं । प्रोफेसर सत्यकाम ने लगभग 36 वर्षों तक इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में सहायक आचार्य एवं सहआचार्य का दायित्व भी निर्वहन किया है। वर्ष 2004 में आप इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में प्रोफेसर हिन्दी संकाय नियुक्त किये गये।

    हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं- जैसे उपन्यास : पहचान और प्रगति, आलोचनात्क यथार्थवाद और प्रेमचन्द : प्रेमचन्द की कहानियां, पुनरवलोकन, नई कहानी नए सवाल, भारतीय उपन्यास की दिशाएँ , दिनकर : व्यक्तित्व और रचना के आयाम (संपादन) : माटी की महक (संपादन)। ‘वितुशा की छाँव’ प्रो. सत्यकाम की संस्मरणात्मक पुस्तक है जिसमें सोफिया (बल्गारिया) प्रवास का अनुभव अंकित है। भारतीय साहित्य के निर्माता शृंखला के अन्तर्गत साहित्य अकादमी से प्रसिद्ध कथाकार, निबंधकार, कवि और लोकचेता साहित्यकार डॉ0 विवेकी राय पर पुस्तक (मोनोग्राफ) प्रकाशित हुई है।

प्रोफेसर सत्यकाम ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों के अनुवाद भी किए हैं जिनमे ‘चलकर राह बनाते हम’ (पाओले फ्रेरे और माइल्स हार्टन की बातचीत पर आधारित पुस्तक ‘‘वी मेक द रोड बाई वाकिंग’’, सम्पादक-ब्रेंडा बेल, जॉन गेवेंटा और जॉन पीटस र्), ‘साम्प्रदायिक राजनीति का आख्यान, (नैरेटिव ऑफ कम्युनल पॉलिटिक्स, प्रो. सलिल मिश्रा) ‘महात्मा गांधी, कांग्रेस और भारत का विभाजन’ (महात्मा गांधी, कांग्रेस एण्ड पार्टीशन ऑफ इंडिया, श्री देवेन्द्र झा), ‘भारत की समाचार पत्र क्रान्ति’ (द न्यूजपेपर्स रिवोल्यूशन इन इंडिया, रॉबिन जेफ्री) उल्लेखनीय हैं।

प्रोफेसर सत्यकाम ने साहित्यिक और अकादमिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनकी 8 पुस्तकें प्रकाशित हैं जिसमें साहित्यिक आलोचना और यात्रा संस्मरण शामिल है। उन्होंने 4 पुस्तकें अनुदित की हैं और लगभग 200 शोध पत्रों, लेखों और पुस्तक समीक्षा का लेखन किया है। प्रोफेसर सत्यकाम हिन्दी की एकमात्र पुस्तक-समीक्षा आधारित पत्रिका समीक्षा के सम्पादक (अवैतनिक) रहे हैं।

प्रोफेसर सत्यकाम हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में अभिनव और नूतन प्रयोग के समर्थक हैं और हिन्दी को जनभाषा के रूप में प्रयुक्त करने के पक्षधर हैं। प्रोफेसर सत्यकाम मुक्त और दूरस्थ शिक्षा के विशेषज्ञ हैं। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में कार्य करते हुए जन-जन तक शिक्षा पहुँचाने में आपकी महती भूमिका रही है।

Prof. Satyakam

Tenure 07/06/2024 to Present