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प्रस्तावना
महान स्वतंत्रता सेनानी, भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन के नाम पर प्रयाग की पावन धरती पर सन् 1999 में
स्थापित उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय प्रदेश का एक मात्र दूरस्थ शिक्षा मुक्त विश्वविद्यालय है। माननीया
कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के कुशल नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय अपने सामाजिक
सरोकारों के प्रति निरन्तर सजग है। समाज के वंचित वर्गों को शिक्षा उपलब्ध कराने के अभियान में नवाचारी व्यवस्थाओं
द्वारा यह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा को निरन्तर व्यावहारिक आयाम प्रदान कर रहा है। समावेशी सामाजिक विकास की
अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करते हुए विश्वविद्यालय ट्रान्सजेंडरों और जेल के कैदियों को भी उच्च शिक्षा एवं कौशलों का
ज्ञान प्रदान कर विकास की मुख्य धारा में शामिल करने हेतु प्रतिबद्ध है।
आज जबकि हमारा वर्तमान भारतीय समाज परम्परागत रूढ़ अन्धविश्वासों, तर्कहीन, असंगत धार्मिक बंधनों से मुक्त
होकर एक नए युग में प्रवेश कर चुका है तो सामाजिक ढाँचे के साथ सम्बन्धों और संस्कारों में भी परिवर्तन होना समय की
माँग है। पुरुष जनसंख्या ही विकास करके देश का सम्पूर्ण उत्थान नहीं कर सकती। इसके लिए देश की आधी आबादी को
भी प्रकाश में लाना पड़ेगा। आज महिलाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है, खास तौर पर ग्रामीण महिलाओं को,
क्योंकि शहरी और पढ़ी-लिखी महिलाओं की अपेक्षा परम्परागत व्यामोह ग्रामीण अंचलों की महिलाओं में अभी भी प्रभावी है,
और उनमें अपने जीवन के प्रति सजगता की कमी दिखाई देती है। तमाम प्रयासों के बावजूद कन्या भू्रणहत्या, दहेज प्रथा,
लैंगिंक भेदभाव, पर्दा प्रथा, बाल विवाह आदि अनेकों कुरीतियाँ अभी भी समाज में विद्यमान हैं। ये सब महिलाओं हेतु विकास
के अवसरों की समानता की दिशा में ऐसे रोड़े हैं, जिन्हें दूर किए बिना समावेशी विकास का सपना अधूरा ही रहेगा।
माननीया कुलाधिपति की महिला विकास की पुनीत और मंगलकारी अवधारणा से प्रेरित होकर उनके इस स्वप्न को
साकार करने की दिशा में विश्वविद्यालय ने महिला अध्ययन केन्द्र की स्थापना द्वारा अपनी सक्रिय सहभागिता का दृढ़
संकल्प लिया है। इस केन्द्र की ओर से गाँवों की महिलाओं हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, आर्थिक आत्मनिर्भरता आदि के
लिए सामुदायिक एवं प्रसार कार्यों के आयोजन की एक नई मुहिम विश्वविद्यालय में शुरू हुई है। मुझे आशा ही नहीं वरन
विश्वास है कि यह महिला अध्ययन केन्द्र विश्वविद्यालय के सामाजिक सरोकारों और प्रसार गतिविधियों के क्षेत्र में उत्तमता
के अनेक नये आयामों को उद्घाटित करेगा। मैं इस केन्द्र के समन्वयकों और सदस्यों को अपने कार्य की प्रभावी शुरुआत
के लिए साधुवाद तथा मंगलमय भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देती हूँ।
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